
अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला ,हिमाचल प्रदेश में हुआ. उनका जन्म एक कश्मीरी पंडित के घर हुआ था. उनके पिता स्व. पुष्कर नाथ खेर है. वे पेशे से एक फारेस्ट अफसर थे. उनकी माता का नाम दुलारी खेर है.
उनकाएक छोटा भाई है जिनका नाम राजू खेर, वो भी फिल्मों में अभिनय का काम करते हैं. अनुपम जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डी.ए. वी पब्लिकस्कूल शिमला हिमाचल प्रदेश में की और आगे की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ भारत में की. उनकी स्कूल के समय से ही एक्टिंग में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने नई दिल्ली के ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ से डिग्री प्राप्त की. वे थिएटर ड्रामा से ग्रेजुएट हैं.
बिंदु | जानकारी |
नाम | अनुपम खेर |
जन्म | 1950 |
आयु | 70 वर्ष |
जन्म स्थान | जबलपुर, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम | स्व. पुष्कर नाथ खेर |
माता का नाम | दुलारी खेर |
पत्नी का नाम | किरण खेर |
पेशा | अभिनय |
बच्चे | एक बेटा |
भाई-बहन | एक भाई |
अवार्ड | पद्म भूषण, पद्म श्री |
अनुपम खेर की निजी जिंदगी
अनुपम केर का विवाह साल 1970 में अभिनेत्री मधुमालती कपूर से हुआ था. यह उनकी अरेंज्ड मेर्रिज थी, पर कुछ सालोंबाद ही उन्हें एहसास हुआ कि वो अपनी कॉलेज की सहेली और मशहूर अभिनेत्री किरण खेर से आकर्षित हैं और दोनोंने शादी करने का फैसला कर लिया.
किरण खेर की भी एक शादी हो चुकी थी, जिससे उन्हें एक बच्चा है जिसका नामहै सिकन्दर खेर है. अनुपम खेर ने उन्हें अपना नाम दिया है.
अनुपम खेर का बॉलीवुड करियर
पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुपम जी नई दिल्ली में ही एक शिक्षक की नौकरी करने लगे, पर मुम्बई शहर की चकाचौंध सभी का मन मोह लेती है. यही अनुपम के साथ भी हुआ और उन्होंने मुम्बई जाने का फैसला किया.
मुंबई आकर उन्होंने बहुत संघर्ष किया, तब जाकर उन्हें अपने फ़िल्मी करियर की पहली फ़िल्म मिली जिसका नाम था ‘आगमन’. यही वह फिल्म थी जिससे अनुपम खेर ने हिंदी फिल्म जगत में अपना आगमन किया.
उसके बाद अनुपम खेर रुके नहीं, उन्होंने बहुत सी फिल्मों में अपने अभिनय से झंडे फहराएं. उन्होंने हर तरीके के किरदार को बखूबी निभाया. उन्हें हास्य किरदार भी किये हैं और विलन का किरदार भी उसी बखूबी से निभाया. उन्होंने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किए हैं.
2002 में अनुपम जी ने एक निर्माता के तौर पर अपनी पहली फ़िल्म ओम जय जगदीश डायरेक्ट और प्रोड्यूस की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम ने 2002 में आयी फ़िल्म बैकहम, 2004 में आयी ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस और 2011 में आई स्पीडी सिंह जैसी सुपरहिट फिल्मे की है.
अनुपम जी ने अपने खुद के जीवन पर आधारित एक नाटक भी लिखा ‘कुछ भी हो सकता है‘ जिसमें उन्होंने खुद अभिनय किया और उसे अब्बास खान ने डायरेक्ट किया.
इसके बाद प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में उन्हें अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चो को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है. 2009 में अनुपम ने कार्ल फ्रेडरिक्क्सन को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशनफिल्म के लिये अपनी आवाज़ भी दी थी.
अनुपम को उनकी फिल्म मिलने से पहले बहुत संघर्ष करना पड़ा था जिसपर उन्होंने एक किताब भी लिखी है ‘द बेस्टथिंग अबाउट यु इस यु’ इस किताब में उन्होंने संघर्ष करना और उससे मिली सीख के बारे में बताया है, इस किताब में उन्होंने बताया है कि उन्होंने अपने जवानी के दिनों में एक बार उनके पिताजी ने उनके स्कूल के एग्जाम में फेल होने पर उन्हें बड़े होटल में ट्रीट दी थी, क्योंकि उनका कहना था” कभी असफलता से ना घबराओ बल्कि इसे सफलता में बदलने के लिए और मेहनत करो” और यही बातें उनके मुंबई में संघर्ष के दिनों में प्रेरणा स्त्रोत रही.
प्रसिद्ध फिल्में
- अनुपम खेर ने ‘सारांश’,
- ‘अर्जुन’, ‘कर्मा’,
- ‘तेज़ाब’,
- ‘राम लखन’,
- ‘डैडी’, ‘दिल’,
- ‘बेटा’, ‘लाडला’,
- ‘हम आपके
- हैं कौन’,
- ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’,
- ‘बड़े मियां छोटे मियां’,
- ‘मोहब्बतें’,
- ‘जोड़ी न. 1’,
- ‘वीर – ज़ारा’,
- ‘सरकार’,
- ‘रंग दे बसंती’,
- ‘चुप चुप के’,
- ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’,
- ‘दबंग’,
- ‘जब तक है जान’,
- ‘स्पेशल 26’,
- ‘मैं तेरा हीरो’,
- ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’,
- ‘होटल मुंबई’,
- ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’
अभिनेता अनुपम खेर को मिले अवार्ड्स
- 1990 में फिल्म ‘डैडी’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड.
- 1993 में फिल्म ‘डर’ के लिए ‘बेस्ट कॉमेडियन’ का अवार्ड.
- 1997 में फिल्म ‘चाहत’ के लिए ‘बेस्ट सपोर्टिंग सक्टर’ का अवार्ड.
- 2004 में ‘पद्म श्री’ अवार्ड से सम्मानित किया गया.
- 2005 में, मेंफिल्म ‘मैंने गाँधी को नहीं मारा’ के लिए ‘स्पेशल जूरी अवार्ड’ .
- 2016 में ‘पद्म भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया.
अनुपम खेर से जुड़े रोचक तथ्य
- अनुपम खेर किसी चीज़ के लिए चर्चाओं में रहे हों या न रहे हों पर अपने कटु कथनों के कारण वे हमेशा चर्चा में रहे, उन्होंने कई बार ऐसे कटाक्ष किए जिसके कारण वे चर्चाओं में रहे, साथ ही जब उन्हें पद्म भूषण दिया गया तब उन्हें उनके साथ के एक को एक्टर द्वारा चापलूस भी कहा गया.
- कश्मीरी पंडितों पर उठे मुद्दों में भी उन्होंने खुल कर अपनी बात रखी. आमिर खान के भी सहिष्णुता पर दिए गए बयानों पर खुलके बोले और ट्वीट्स भी किए.
- अनुपम खेर ने हिंदी फिल्मो के साथ साथ तेलुगु, मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी, पंजाबी और चाइनीस फिल्मो में भी अपने अभिनय को दर्शाया है. वे 400 से अधिक फिल्मों में भूमिका निभा चुके हैं.
- अनुपम को किताबें पढ़ने और गाने सुनने का बहुत शौक है।
- वे एक समय अपने गोरे रंग, गंजेपन और विदेशियों की नकल उतारने के टैलेंट का उपयोग करते थे, इसके लिए वो किसी भी रेस्टोरेंट में जाते और विदेशी की तरह बात करते हुए पेट भरके खाना खाते और बिना पैसे दिए निकल जाते, और लोग विश्वास ही नहीं कर सकते थे कि अनुपम कोई विदेशी व्यक्ति नहीं बल्कि भारतीय
अनुपम का संघर्ष और प्रेरणा
अनुपम को फिल्मों में आने के लिए काफी समय तक संघर्ष का सामना करना पड़ा था, 1984 में सारांश फिल्म में अपनी उम्र से ज्यादा उम्र के व्यक्ति का काम मिलने के पहले तक अनुपम के दिन बहुत मुश्किल से बीत रहे थे. अनुपम ने अपने उन्ही दिनों की प्रेरणा से एक किताब “ दी बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू” भी लिखी है, जो अब हिंदी में भी उपलब्ध है.
अनुपम ने इसके हिंदी वर्जन “आप खुद ही बेस्ट है” के रिलीज़ के समय कहा था कि “किसी को सफल होने के लिए उस व्यक्ति में सर्वोत्तम को पाने की तीव्र आकांक्षा होनी चाहिए”
खेर ने अपने टीनएज के दिनों को याद करते हुए एक बार कहा था कि उनके पिताजी ने उनके स्कूल के एग्जाम में फेल होने पर उन्हें बड़े होटल में ट्रीट दी थी, क्युकी उनका कहना था” कभी असफलता से ना घबराओ बल्कि इसे सफलता में बदलने के लिए और मेहनत करो”
ऐसे में अनुपम निराश नहीं हुए और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों के भी मजे लिए, इसके बारे में अनुपम ने एक बार बताया था कि वो उस समय अपने गोरे रंग, गंजेपन और विदेशियों की नकल उतारने के टैलेंट का उपयोग करते थे
अनुपम खेर और विदेशी फ़िल्में
अनुपम ने कई इंटरनेशनल फिल्मों में भी काम किया हैं,जिसमे बेंड इट लाइक बेकहम (2002), ब्राइड एंड प्रिज्युडिस (2004), स्पीडी सिंघ्स (2011) प्रमुख है. अनुपम ने सिल्वर लाइनिंग प्लेबुक (2012) में भी काम किया है जिसे एकेडमी अवार्ड मिला था और टीवी पर कुछ शो जैसे ईआर, द मिस्ट्रेस ऑफ़ स्पाइसेज (2006) और लस्ट,कौशन (2007) में भी काम किया था.
अनुपम खेर: एक निर्माता के रूप में
अनुपम ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी अपना भाग्य आजमाया हैं और एक बार फिर से इसके लिए तैयार है,इसके बारे में अनुपम ने अपनी फिल्म “रांची डायरीज” के ट्रेलर लांच पर बताया कि उनके जीवन में एक ऐसा समय भी था जब वो एक फिल्म बनाने के कारण दिवालिया घोषित हो गए थे,
इसके अलावा अनुपम ने कहा की वो इस शहर में 37रूपये के साथ आये थे और अब आज वह फिल्म के प्रोडूसर है मतलब कि मेहनत को अपना लक्ष्य मिलता ही हैं. अनुपम ने 2005 में “मैंने गाँधी को नहीं मारा” फिल्म को प्रोड्यूस किया था, उसके बाद अभी 2018 में आने वाली एक फिल्म “रांची डायरीज” उनके प्रोडक्शन में बन रही दूसरी फिल्म है.
अनुपम ने 1994 में बंगाली फिल्म बरीवाली और 2009 में तेरे संग भी प्रोड्यूस की थी. 2002 में अनुपम ने ओम जय जगदीश” फिल्म को भी निर्देशित कर इस क्षेत्र में भी थोडा अनुभव लिया.
नेशनल फिल्म अवार्ड्स
अनुपम को अब तक 2 फिल्मों के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड मिल चुके है जिनमे 1990 में डैडी फिल्म के लिए स्पेशल ज्यूरी अवार्ड और 2006 में “मैंने गांधी को नहीं मारा” के लिए भी स्पेशल ज्यूरी अवार्ड ही मिला था.
फिल्मफेयर अवार्ड
अनुपम की पहली उपलब्धि अपनी पहली ही फिल्म “सारांश” के लिए 1984 में बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिलना थी, इसके बाद 1988 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड “विजय” फिल्म के लिए मिला जिसने खेर के लिए आगे बढ़ने के रास्ते खोल दिए.
1989 में “रामलखन” के लिए बेस्ट कॉमेडियन अवार्ड,1990 मे “डैडी” फिल्म में बेस्ट परफॉरमेंस के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला था.1991 में “लम्हे” फिल्म के लिए बेस्ट कॉमेडियन का फिर 1993 में “डर” फिल्म में काम के लिए बेस्ट कॉमेडियन का,1995 में “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे” के लिए बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड मिला था.
अनुपम खेर और विवाद
अनुपम का विवादों से विशेष रिश्ता हैं, वो चाहे या ना चाहे उनके दिए बयानों या सोशल मीडिया पर उठाये गए मुद्दों की चर्चा अक्सर मीडिया में सुर्खियों का विषय रहती हैं.
- यहाँ तक कि देश के सर्वोच्च पुरुस्कारों में से एक पद्मश्री मिलने पर भी अनुपम खेर विवादों से नहीं बच सके,अनुपम के समकालीन अभिनेता रहे और कई बार अनुपम के साथ नेगेटिव और कॉमेडी रोल कर चुके कादर खान ने अनुपम के बारे में कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया हैं कि उन्हें पद्म श्री मिल सके,ये सब उनकी सरकार को और सम्बन्धित अधिकारियों की गई चापलूसी का परिणाम है, और कादर खान कभी ये नहीं कर सकते.
- मधुर भंडारकर की फिल्म “इंदु सरकार” में भूमिका निभाने वाले अनुपम ने उस समय भी अपनी राय व्यक्त की थी, जब इस फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा रोक लिया गया था. अनुपम ने कहा “सेंसर बोर्ड में जो हो रहा हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि सेंसर बोर्ड की मुर्खता भी है”.