
आपने कई बार अश्वगंधा का नाम सुना होगा, अपनी किताबों में पढ़ा होगा। अखबारों में विज्ञापन देखे होंगे या फिर टीवी चैनलों पर इसकी एड के बारे में पढ़ा होगा। यह सब सुनकर या देखकर आपके दिमाग में एक सवाल उठता होगा कि आखिरी अश्वगंधा क्या है? और यह कैसे इस्तेमाल किया जाता है? किस बीमारी के लिए इसका प्रयोग किया जाता है? इसके क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं? यह कितना उपयोगी है? इन सभी सवालों का जवाब आपको इस लेख के माध्यम से बड़े ही आसानी से मिल जाएंगे।
दरअसल अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। जैसे मोटापा कम करना, टीवी की बीमारी, पेट की बीमारी, छाती में दर्द होना आदि इन सभी के लिए अश्वगंधा लाभदायक है। अश्वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण या बहुत तेजी से प्रचलित हुआ है। आइए जानते हैं आखिर अश्वगंधा क्या है? और किन किन बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है?
अश्वगंधा क्या है?
असल में अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा होता है। भारत में पांरपरिक रूप से अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। इसके साथ-साथ इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। आमतौर पर अश्वगंधा का इस्तेमाल शरीर को जवान बनाए रखने के आयुर्वेदिक नुस्खों में किया जाता है।
अश्वगंधा का इस्तेमाल पत्ते, इसके चूर्ण के लिए किया जाता है। कई रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का उपयोग कुछ इस प्रकार किया जाता है –
- सफेद बाल की समस्या को रोकने में करें अश्वगंधा का प्रयोग।
- आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा।
- गले के रोग (गलगंड) में करें अश्वगंधा का सेवन।
- टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग।
- छाती के दर्द में अश्वगंधा से लाभ।
- पेट की बीमारी में अश्वगंधा से फायदा।
- अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से दूर होती है कब्ज की समस्या।
- अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज।
- गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ।
- ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा।
- अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद।
- अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी।
- इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग।
आइए जानते हैं अश्वगंधा का उपयोग किन किन बीमारियों में किया जाता है उसकी संपूर्ण जानकारी –
1 गर्भधारण करने में अश्वगंधा लेने में लाभदायक
- 20 ग्राम अश्वगंधा को एक लीटर पानी तथा 250 मिलीग्राम गाय के दूध में मिला लें।
- इसे कम आंच पर पकाएं।
- जब इसमें केवल दूध बच जाय तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिला लें।
- इस व्यंजन का मासिक धर्म के शुद्धिस्नान के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में सहायक होता है।
- अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण की समस्या में भी मिलते हैं।
- असगंधा चूर्ण को गाय के घी में मिला लें।
- मासिक-धर्म स्नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक करे।
2 अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद
- 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गठिया में फायदा होता है।
- इससे कमर दर्द और नींद न आने की समस्या को दूर करता है।
- अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को, 250 मिलीग्राम पानी में उबाल लें।
- जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें।
- एक सप्ताह तक पीने से कफ से होने वाले वात तथा गठिया रोग में विशेष लाभ होता है।
- इसका लेप भी लाभदायक है।
3 अश्वगंधा के उपयोग से खांसी का इलाज
- अश्वगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें।
- इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं।
- जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।
- अश्वगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें।
- इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें।
- इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।
- टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है।
4 ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से लाभ
- 2-4 ग्राम असगंधा की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिला लें।
- इसे गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
- अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ तथा घी को समान मात्रा में लें।
- इसे लड्डू बनाकर खिलाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
- ल्यूकोरिया में सफेद मूसली के प्रयोग से लाभ।
5 इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का उपचार
- असगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर रख लें।
- एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह में भोजन से तीन घंटे पहले सेवन करें।
- रात के समय अश्वगंधा की जड़े के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग में लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।
- अश्वगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर छान लें।
- इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम में (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं।
- थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।
6 पेट की बीमारी में अश्वगंधा लाभदायक
- अश्वगंधा चूर्ण के फायदे आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं।
- पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं।
- अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
- अश्वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें।
- इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है।
7 अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी
- 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक वर्ष तक बताई गई विधि से सेवन करने से शरीर रोग मुक्त तथा बलवान हो जाता है।
- 10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल व घी लें।
- इसमें तीन ग्राम शहर मिलाकर जाड़े के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।
- 6 ग्राम असगंधा चूर्ण में उतने ही भाग मिश्री और शहद मिला लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं।
- इस मिश्रण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शीतकाल में 4 महीने तक सेवन करने से शरीर का पोषण होता है।
- 3 ग्राम असगंधा मूल चूर्ण को पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति ताजे दूध के साथ सेवन करें।
- वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्यक्ति गुनगुने जल के साथ एक साल तक सेवन करें।
- 20 ग्राम असगंधा चूर्ण, तिल 40 ग्राम और उड़द 160 ग्राम लें, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक महीने तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।
- अश्वगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिला लें, इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।
- एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मिग्रा मिश्री डालकर, गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होकर वीर्य मजबूत होता है तथा बल बढ़ता है।
8 अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज
- अश्वगंधा के पत्तों का पेस्ट तैयार लें।
- इसका लेप या पत्तों के काढ़े से धोने से त्वचा में लगने वाले कीड़े ठीक होते है।
- इससे मधुमेह से होने वाले घाव तथा अन्य प्रकार के घावों का इलाज होता है।
- यह सूजन को दूर करने में लाभप्रद होता है।
- अश्वगंधा की जड़ को पीसकर, गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग की समस्या में लाभ होता है।
9 गले के रोग (गलगंड) में करें अश्वगंधा का सेवन
- अश्वगंधा के पत्ते का चूर्ण तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें।
- इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्ट तैयार करें।
- इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।
10 लिवर के लिए लाभकारी अश्वगंधा
- अश्वगंधा लिवर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
- एंटी इंफ्लेमेंट्री और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर यह लिवर से संबंधित बीमारियों के संक्रमण की संभावना को कम करता है तथा इससे निजात दिलाने में मदद करता है।
- लिवर में सूजन आने पर अश्वगंधा का औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- यह लिवर में सूजन को कम करता है। ऐसे में नियमित तौर पर अश्वगंधा का सेवन अवश्य करें।
11 टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग
- अश्वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें।
- इससे टीबी में लाभ होता है।
- अश्वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें।
- इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें।
- इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है।
12 तनाव दूर करता है अश्वगंधा
- अश्वगंधा का अर्क शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के काम आता है और इस प्रकार यह इसमें उपस्थित एंटी-स्ट्रेस गुण को दर्शाता है।
- किसी भी व्यक्ति को सुखदायक और शांत प्रभाव प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इंडियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री में प्रकाशित।
- एक अध्ययन में पाया गया है कि अश्वगंधा के हर्बल अर्क के साथ इलाज किए जाने पर कई प्रकार के तनाव को सहा जा सकता है।